दाता देवी फाउंडेशन
गो आराम, तभी विश्राम

साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी जी
मेरा सामान्य परिचय
नाम:- साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती गुरु परम ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती
जन्म दिनांक:- 24 जून 1993
शरीर का पूर्व नाम:- मीना पाण्डेय
जन्म स्थान:- ब्रह्मपुरी, गांव कानोड़, जिला उदयपुर, राजस्थान
लौकिक शिक्षा:-
1. Diploma in pharmacy form rajasthan university of health sciences, jaipur, rajasthan
2. B.sc form mohanlal sukhadiya university, udaipur, rajasthanआध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में 2009 में मंत्र दीक्षा ग्रहण कर 2017 में लौकिक परिवार त्याग कर संन्यास दीक्षा ली। परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान के सानिध्य में गीता, वेदांत, रामायण और पुराणों का अध्ययन किया।
सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 24 जून 1993 में उदयपुर जिले के कानोड़ तहसील में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। परिवार की पृष्ठभूमि धार्मिक होने के कारण बचपन से ही आध्यात्मिक वातावरण प्राप्त हुआ। पूजा-पाठ करना, व्रत-अनुष्ठान करना, मंदिर जाना, कथा श्रवण करना, यह बचपन से ही माता-पिता के द्वारा संस्कारों में सिखाया जाता रहा।
1. Diploma in pharmacy form rajasthan university of health sciences, jaipur, rajasthan
2. B.sc form mohanlal sukhadiya university, udaipur, rajasthan
से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् जीवन मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ रहा था। वैसे तो बचपन से ही हृदय में परमात्मा की भक्ति का बीजाकुंर हो गया था, परंतु बात गौ-सेवा की करें, तो प्रारंभिक जीवन में किसी भी प्रकार की गौ-सेवा नहीं थी। यहाँ तक की भगवती गौमाता की सेवा किस प्रकार की जाती है, इस सन्दर्भ में कोई जानकारी नहीं थी। या यूँ कहें कि गौमाता ने अपनी सेवा से अछूता और वास्तविक परिचय से अनभिज्ञ ही रखा, परंतु कुछ समय व्यतीत होने के पश्चात्, ईश्वर कृपा से जीवन में बदलाव आया और परम पूज्य गुरुदेव भगवान का सानिध्य प्राप्त हुआ। परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के मुखारविंद से नव दिवसीय राम कथा का आयोजन जन्मभूमि पर हुआ और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से राम कथा के प्रसंग में गौ माता की वास्तविक स्थिति का श्रवण किया, तब पहली बार एहसास हुआ कि वर्तमान समय में गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा की महती आवश्यकता है। वर्तमान समय में हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा काट दी जाती हैं, पोलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, धर्मपरायण जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं, आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्र-तत्र भटकने की दु:ख लीला कर रही हैं, यह सब देख सुनकर गुरुदेव भगवान की प्रेरणा से जीवन गौ-सेवा की ओर मुडने लगा। मन में ऐसे भाव जागृत हुए की लौकिक जगत की सुख सुविधाओं को छोड़कर संन्यास मार्ग का आश्रय लेते हुए भगवती गौमाता की सेवा में अपना जीवन बिताना चाहिए। इस विचार के बाद जीवन को गौमाता की सेवा में और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में समर्पित करने का पूरा मन बना लिया, परंतु भक्ति और सेवा का मार्ग इतना सहज नहीं होता है। माता-पिता और अन्य परिजन मेरे इस निर्णय से सहमत नहीं हुए। मेरा आध्यात्मिक सेवा पथ का चयन उन्हें नहीं भाया। संन्यास मार्ग पर चलने एवं गृह त्याग करने के लिए माता-पिता की अनुमति कई वर्षों तक नहीं मिली। माता-पिता एवं परिजनों ने कई प्रकार की बाधाऐं प्रस्तुत की, परंतु किसी भी परेशानी से ना घबराकर मैं अपने निर्णय पर अटल रही। प्रतिदिन घर में विवाद हुए, झगड़े हुए परंतु अपने लक्ष्य से मेरा मन कभी नहीं डगमगाया। और अंत में ईश्वर कृपा से, भगवती गौमाता की कृपा से 7 से 8 वर्षों तक कठिन संघर्ष करने के पश्चात् माता-पिता की अनुमति प्राप्त हुई और 2017 में मैंने परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में गौ माता की सेवा का कार्य प्रारंभ किया।
मेडिकल क्षेत्र में प्राप्त भारी वेतन का मोह मन में नहीं रहा और इन सबका त्याग करके 23 वर्ष की आयु में मैंने गुरुदेव भगवान के निष्काम कर्म से प्रेरित होकर संन्यास मार्ग को अपनाया। गुरुदेव भगवान के दर्शन और प्रवचन ने मेरे जीवन को एक नई दिशा दी। गुरुदेव भगवान के कृपा से यह समझ में आया कि सच्ची निष्काम सेवा और प्रभु के प्रति अपना समर्पण ही जीवन की सार्थकता है। गो-सेवा के इस पवित्र कार्य ने मुझे वास्तविक शांति और शक्ति प्रदान की हैं। परम पूज्य गुरुदेव भगवान के माध्यम से चल रही विश्व की सबसे पहली लम्बी व सबसे बड़ी पदयात्रा “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा (हल्दीघाटी से संपूर्ण भारतवर्ष)”” का हिस्सा बनने का तथा गो महिमा प्रचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। तत्पश्चात् गुरुदेव भगवान के आदेशानुसार गोशाला और गौ-चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को देखकर प्रत्यक्ष गौ-सेवा का लाभ प्राप्त हुआ। गुरुदेव भगवान के सानिध्य में आकर गौ-सेवा के कहीं अनुभव हुए हैं। गुरुदेव भगवान व गोमाता का ऐसा आशीर्वाद और कृपा रही की जीवन में कभी माइक पर नहीं बोला था, परन्तु गुरूदेव भगवान की कृपा से संन्यास मार्ग पर आने के बाद हजारों लोगों के सामने बोलने की सामर्थ्य मिला। एक भी शब्द बोल पाने का सामर्थ्य न होने के बावजूद गुरुदेव भगवान का जैसे ही आदेश हुआ की गौ माता की महिमा का प्रचार साप्ताहिक गौ कृपा कथा के माध्यम से करना है, उसी दिन गुरुदेव भगवान की कृपा से पहली बार मंच पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ। गौ माता व गुरुदेव भगवान की कृपा से 7 दिन की गो कथा सहज ही सम्पन्न हो गई, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौ-सेवा और गुरु सेवा का चमत्कार पहली बार हुआ था। पिछले कई वर्षों से गुरुदेव भगवान के मार्गदर्शन में गांव-गांव में भगवती गौमाता की महिमा स्थापित करने हेतु कार्य सतत् चल रहा है। अब तक लगभग 200 से अधिक गावों एवं शहरों में गौ कथा, गौ राम कथा, भागवत कथा के माध्यम से गौ श्रद्धा जगाने का सफल प्रयास हुआ है। गौ महिमा गान से प्रभावित होकर अब तक हज़ारों लोगों ने व्यसन त्याग कर गोव्रत धारण करते हुए भगवती गौमाता को अपने घट में और घरों में स्थान दिया है। कथा से प्रेरित होकर शताधिक स्थानों पर गोशालाओं का निर्माण हुआ हैं।
जिम्मेदारियां:- वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त हुआ हैं
- 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना
- नीलकंठ गोपाल गौ-सेवा संस्थान, ग्राम-बिछिवाड़ा, तहसील-बिछिवाड़ा, जिला-बांसवाड़ा, राज्य-राजस्थान में गौशाला में घास चारे के सहयोग करना एवम् वहाँ के बचे हुए अधूरे निर्माण कार्य को पूर्ण करवाना।
- देपुर, तहसील-नाथद्वारा, जिला- राजसमंद, राजस्थान में भैरव धाम चिकित्सालय प्रारंभ करना।
- उदयपुर-मेनार, राजमार्ग पर अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न गो चिकित्सालय का निर्माण करना।
- दृष्टि देवी फाउंडेशन (गो पर दृष्टि… सुखमय सृष्टि) के माध्यम से
1. गौ संस्कृति एवं गौ महिमा से जुड़े साहित्य का प्रकाशन करना एवं आवश्यकता पड़ने पर न्यूनतम एवं लागत मूल्य पर अथवा निःशुल्क उपलब्ध कराना।
2. गो समाचार विषयक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करना।
3. गो चिकित्सालय की निगरानी के लिए कैमरे लगाने की व्यवस्था करना।
4. सम्पूर्ण भारतवर्ष में कश्मीर से कन्याकुमारी तक गौ-सेवा क्षेत्र की संपूर्ण सूचनाएँ संग्रहित कर जन-जन तक पहुँचाना।।
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-
- पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
- मोबाईल को स्पर्श नहीं करना।
- गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।
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